कोमल जी, हिंदी भाषा में अत्यंत सुंदर रचना प्रस्तुत की है आपने पंजाबिज़्म फ़ोरम पर |
सिंपली उत्कृष्ट !
एक नमूना है यादों के प्रभाव का -
कुछ होती है कड़कड़ाती धूप सी
आ के अक्सर जलाती हैं तपाती हैं |
और सुंदरता रंग बिखेरती रोशनी सी देखिए.....
कुछ होती हैं जुगनुओं सी -
जलती बुझती दमकती हैं
अचानक ही चमकती हैं |
बहुत सुंदर |
कोमल जी, हिंदी भाषा में अत्यंत सुंदर रचना प्रस्तुत की है आपने पंजाबिज़्म फ़ोरम पर |
सिंपली उत्कृष्ट !
एक नमूना है यादों के प्रभाव का -
कुछ होती है कड़कड़ाती धूप सी
आ के अक्सर जलाती हैं तपाती हैं |
और सुंदरता रंग बिखेरती रोशनी सी देखिए.....
कुछ होती हैं जुगनुओं सी -
जलती बुझती दमकती हैं
अचानक ही चमकती हैं |
बहुत सुंदर |