"हास्य की क्षमता स्वयं की ओर इंगित होनी चाहिए-स्वयं पर हंसना बहुत बड़ी बात है और जो स्वयं पर हंस सकता है वह धीरे-धीरे दूसरों के प्रति करुणा और उत्तरदायित्व से भर जाता है। पूरी दुनिया में कोई घटना, कोई विषय हास्य को इस भांति से नहीं लेता है।" -ओशो
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