सुकूने दिल के लिए इश्क तो बहाना था,
वगरना थक के कही तो ठहर जाना था
जो इज्तिराब का मौसम गुजर आये है,
वो जानते है कि वहशत का क्या जमाना था
वो जिनको शिकवा था औरो से जुल्म सहने का
खुद उनका अपना भी अंदाज जारिहाना था
बहुत दिनों से मुझे इन्तिजारे-शब भी नहीं
वो रुत गुजर गई, हर ख्वाब जब सुहाना था
कब उसकी फतह कि ख्वाहिश को जीत सकती थी
मै वो फरीक हू, जिसको की हार जाना था ..
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डॉ. फातिमा हसन
(वगरना=वरना, इज्तिराब=व्याकुलता,
वहशत=भय, जारिहाना=हिंसापूर्ण, फरीक=पक्ष )