इस रचना में अंकित भाव अत्यंत खुले एवं गहरे हैं, जो ईश्वर को कण कण मैं महसूस करके लिखे गए हैं | मावी भाई साहिब का कहना सही है - वह तो सब में सब जगह पर विद्यमान है, हमारे नेत्र ही उसे देख नहीं पाते | आवश्यकता है दिल को साफ़ करके नेत्रों को उसे कण कण में देखने योग्य बनाने की |
अति सुंदर लिखते हैं आप कोमल जी | भाव से लिखा हुआ, सुंदर के इलावा कुछ और हो ही नहीं सकता |
रब्ब रखा |
इस रचना में अंकित भाव अत्यंत खुले एवं गहरे हैं, जो ईश्वर को कण कण मैं महसूस करके लिखे गए हैं | मावी भाई साहिब का कहना सही है - वह तो सब में, सब जगह पर विद्यमान है, हमारे नेत्र ही उसे देख नहीं पाते | आवश्यकता है दिल को साफ़ करके नेत्रों को उसे कण कण में देखने योग्य बनाने की |
अति सुंदर लिखते हैं आप कोमल जी | भाव से लिखा हुआ, सुंदर के इलावा कुछ और हो ही नहीं सकता |
Hiran bi Usda Mor bi Usad
Sadh bi Usda Chor bi Usda
Chup bi usdi
Shor bi usda
Baki reh giya ki
Kise de charni laggke jeee.
Bahut sohne khiyaal sanjhe kite
Shukriya share karan layi