आज कुछ ऐसा लिखने को दिल करता है,
कि अंत में आंसूओं के लिए भी सूखा पद जाए,
दर्द भी एक ऐसे मुकाम पे पहुँच जाए,
कि अंत में और जख्मों का भी एहसास खत हो जाए,
सब दुखों का अंत होएगा आँखों के बंद होने पर,
और ऐसी कविता लिख डालूँ,
कि दिखों के समन्दर में ये आखें बंद हो जाएँ,
मेरी ढलती शाम के साथ , मेरे अंत के साथ,
मेरी कविताएँ भी दास्ताँ-ए-जिंदगी से मुक्त हो जाएँ |
कवित्री - तनवीर शर्मा
आज कुछ ऐसा लिखने को दिल करता है,
कि अंत में आंसूओं के लिए भी सूखा पद जाए,
दर्द भी एक ऐसे मुकाम पे पहुँच जाए,
कि अंत में और जख्मों का भी एहसास खत हो जाए,
सब दुखों का अंत होएगा आँखों के बंद होने पर,
और ऐसी कविता लिख डालूँ,
कि दिखों के समन्दर में ये आखें बंद हो जाएँ,
मेरी ढलती शाम के साथ , मेरे अंत के साथ,
मेरी कविताएँ भी दास्ताँ-ए-जिंदगी से मुक्त हो जाएँ |
कवित्री - तनवीर शर्मा