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हथियार - प्रेम :: punjabizm.com
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ਬਿੱਟੂ ਕਲਾਸਿਕ  .
ਬਿੱਟੂ ਕਲਾਸਿਕ
Posts: 2441
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हथियार - प्रेम

तलवारें खनक रहीं है , बरसों से मेरे दिल की देहरी पर , तुमने दिल नहीं दिया , मैंने सर , कुंद होकर थकी तलवारें , आँख मार रहीं हैं एक दूसरी को , हम ढूंढ़ रहें हैं , नये हथियार नये प्रेम क़त्ल करने को .          ********  फरमान है , अब प्यार मिलेगा राशन के डीपू पर , पांच के परिवार को चार किलो , मैं अकेला हूँ , हिसाब में कमज़ोर भी , डरता हूँ अपने हिस्से आते , बड़े से अभाव से .       *********  नौउमरी में चेहरे पर , मुहांसों सा निकला तुम्हारा प्यार , चेचक के गढ़ढ़ों सा हो गया है , उम्र के आईने में , अपनी शकल देखते हुए , तुम्हारे चेहरे की कामना में गुम, सबके साथ ऐसा ही हुआ ,या मेरी जीजिविषा ज्यादा कम थी, प्यार अधिक .         ********  जाती सर्दियों के यह दिन , बीवियां समेट रहीं हैं , पतियों के जाकेट ,कोट पेंट और टाईयां , फिनायल की गोलियों के साथ , खा नहीं जाएँ कीड़े कहीं इन्हें भी , दीमक लगे इन पुरुषों की ही तरह, हँसते हैं प्रेम में डूबे पुरुष , अगली सर्दियों के ख्याल को सूंघ , कहते भी हैं खुद से , हाँ ! रहूँगा मैं अगली सर्दियों में भी , इन कपड़ों को पहनने के लिए तो ज़रूर .           *******  प्रेम करामाती सुरमा है , इसे लगाते ही घोड़ों को घास हरी लगती है , घास को घोड़े जवान , मैं लगभग तट्स्थ हूँ आजकल लगभग , और चाहता हूँ , यह सुरमा लग जाए सबकी आँखों में सच ! हर रंग होगा इस दुनिया में तब |  _______ @[100003007206665:2048:Deepak Arora]_______________

 

तलवारें खनक रहीं है ,
बरसों से मेरे दिल की देहरी पर ,
तुमने दिल नहीं दिया ,
मैंने सर ,
कुंद होकर थकी तलवारें ,
आँख मार रहीं हैं एक दूसरी को ,
हम ढूंढ़ रहें हैं ,
नये हथियार नये प्रेम क़त्ल करने को .

********

फरमान है ,
अब प्यार मिलेगा राशन के डीपू पर ,
पांच के परिवार को चार किलो ,
मैं अकेला हूँ ,
हिसाब में कमज़ोर भी ,
डरता हूँ अपने हिस्से आते ,
बड़े से अभाव से .

*********

नौउमरी में चेहरे पर ,
मुहांसों सा निकला तुम्हारा प्यार ,
चेचक के गढ़ढ़ों सा हो गया है ,
उम्र के आईने में ,
अपनी शकल देखते हुए ,
तुम्हारे चेहरे की कामना में गुम,
सबके साथ ऐसा ही हुआ ,या
मेरी जीजिविषा ज्यादा कम थी,
प्यार अधिक .

********

जाती सर्दियों के यह दिन ,
बीवियां समेट रहीं हैं ,
पतियों के जाकेट ,कोट पेंट और टाईयां ,
फिनायल की गोलियों के साथ ,
खा नहीं जाएँ कीड़े कहीं इन्हें भी ,
दीमक लगे इन पुरुषों की ही तरह,
हँसते हैं प्रेम में डूबे पुरुष ,
अगली सर्दियों के ख्याल को सूंघ ,
कहते भी हैं खुद से ,
हाँ ! रहूँगा मैं अगली सर्दियों में भी ,
इन कपड़ों को पहनने के लिए तो ज़रूर .

*******

प्रेम करामाती सुरमा है ,
इसे लगाते ही घोड़ों को घास हरी लगती है ,
घास को घोड़े जवान ,
मैं लगभग तट्स्थ हूँ आजकल लगभग ,
और चाहता हूँ ,
यह सुरमा लग जाए सबकी आँखों में
सच ! हर रंग होगा इस दुनिया में तब |

_______ Deepak Arora

15 Dec 2012

j singh
j
Posts: 2871
Gender: Male
Joined: 18/Nov/2011
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ਕਿਆ ਬਾਤ ਹੈ.....

17 Dec 2012

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