लिखने के लिए विचारों की जरूरत है,आज फिर से नए जख्मों की ज़रुरत है,फिर से खून के आंसूओं को बहने की ज़रुरत है,लाल रंग के लहू को स्याही बन ने की ज़रुरत है,लिखना चाहती हूँ फिर आज,बस एक गम की ज़रुरत है, जख्मों की जरूरत है|कवित्री - तनवीर शर्मा
thanks
nice lines tanveer ji ,zakham to khud bante hai jab kalam chalti hai dil ke sahare
truly said.