यह उन दिनों की बात है जब अमेरिकी कारोबारी किंग सी जिलेट आर्थिक तंगी से गुजर रहे थे। अक्सर उनके पास खाने को पैसे तक नहीं रहते थे। वह जैसे-तैसे गुजारा कर रहे थे। शुरू में कुछ दोस्तों ने उनकी मदद की पर बाद में उन्होंने भी मुंह फेरना शुरू कर दिया। जिलेट अपने लिए कोई काम ढूंढ रहे थे। काम की तलाश में वह सुबह निकल जाते और थके-मांदे देर रात को वापस आते। आखिरकार एक दिन उन्हें एक कंपनी में क्लर्क का काम मिल गया। वे मन लगाकर अपना काम करने लगे। एक दिन उस्तरे से शेविंग करते समय उन्हें बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा। उस्तरे की धार निकल चुकी थी और वह बमुश्किल ही काम करता था। उस दिन जिलेट ने सोचा कि दाढ़ी बनाने की परेशानी दूर करने के लिए क्या कोई तकनीक नहीं ईजाद की जा सकती है? उसी समय उन्हें ब्लेड बनाने का ख्याल आया मगर उस समय पैसों की कमी के कारण वह उसके लिए जरूरी मशीन खरीदने में असमर्थ थे। लेकिन जिलेट पर ब्लेड बनाने की धुन सवार हो चुकी थी, इसलिए उन्होंने कर्ज लेकर मशीन खरीदी। फिर वे ब्लेड बनाने में जुट गए। उन्हें सफलता नहीं मिली और वे पूरी तरह कर्ज में डूब गए। लोग उन पर हंसते थे। मगर इतने मुश्किल समय में भी जिलेट ने हिम्मत नहीं हारी और अपने काम में पूरी तन्मयता से लगे रहे। उन्हें अपने ऊपर भरोसा था। आखिरकार उन्होंने ब्लेड बनाने में सफलता हासिल कर ही ली। कुछ ही समय में उनके द्वारा बनाए गए ब्लेडों की पूरे विश्व में धूम मच गई। उनके पास दौलत और शोहरत दोनों आ गई। आज भी उनके बनाए 'जिलेट ब्लेड' की पूरी दुनिया में जबर्दस्त मांग है। उनकी ब्लेड के कारण उन्हें आज भी लोग याद करते हैं।