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कैसे कह दूं की
महंगाई बहुत है।
मेरे शहर के चौराहे पर
आज भीएक रूपये मे
कई दुआएँ मिलती है।
unknwon
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16 Jan 2015
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आँखों की गली में कोई आवारा सा आँसू,
पलकों से तेरे घर का पता पूछ रहा हैं...
unknown
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16 Jan 2015
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काश तुम भी हो जाओ तुम्हारी यादो की तरह..
न वक़्त देखो न बहाना... बस चले आओ...
unknown
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16 Jan 2015
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यूँ तो कटे हुए उस पेड़ को एक ज़माना हो गया,
मगर ढूँढने अपना ठिकाना परिंदा रोज आता है..
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16 Jan 2015
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दोस्तों बडी अजीब है ये मोहब्बत..! वरना...
अभी मेरी उम्र ही क्या है जो शायरी करनी पड़ी...
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16 Jan 2015
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Mari sans ka koi bharosa nahi kahan sath chorh jaye
Mari zaat se wabasta logo mujhe maaf kar ke sona
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16 Jan 2015
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